एक स्कूल, जहां बच्चे बोलते हैं 31 भाषाएं
एक ब्रिटिश प्राथमिक विद्यालय के बच्चे अंग्रेजी के अलावा बंगाली, तमिल, शिलहेती, पंजाबी, उर्दू और गुजराती सहित दुनिया भर की कुल 31 भाषाएं बोलते हैं।
बर्मिंघम स्थित इंग्लिश मार्टरी कैथोलिक स्कूल के 414 बच्चे आपस में बातचीत के लिए आश्चर्यजनक रूप से 31 भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी पहली भाषा के रूप में अंग्रेजी बोलने वाले छात्रों की संख्या यहां बहुत ही सीमित है।
कई भाषाओं का बोलने में इस्तेमाल करने वाले इस स्कूल में अंग्रेजी अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। अखबार कहता है कि जब कोई नया छात्र आता है तो उसके लिए एक अनुवादक का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वह अंग्रेजी के शब्दों को धीरे-धीरे सीखने लगे। जो बच्चा यहां पढ़ने आता है उसकी अपनी एक अलग मातृ भाषा भी होती है।
इस विद्यालय में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं में अरबी, ग्रीक, डच, जाएलिक, हिंदको, जमैकन, पातोइस, काछी, लिंगाला, मीरपुरी, नेपाली, पश्तो, पोलिश, पुर्तगाली, रोमानियन, सोमाली, स्पेनिश, शुडानी, स्विस, फ्रैंच और योरूबा हैं।
कैथोलिक स्कूल होने के बाद भी इस स्कूल में सबसे ज्यादा पाकिस्तानी मूल के छात्र हैं। इन बच्चों के घरों में प्राय: उर्दू और मीरपुरी बोली जाती है। स्कूल का पूरा शिक्षण स्टॉफ अंग्रेेजी भाषा में पढ़ाने में दक्ष है। पढ़ाने में कभी कभी अनुवादकों की मदद ली जाती है।
बर्मिंघम स्थित इंग्लिश मार्टरी कैथोलिक स्कूल के 414 बच्चे आपस में बातचीत के लिए आश्चर्यजनक रूप से 31 भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी पहली भाषा के रूप में अंग्रेजी बोलने वाले छात्रों की संख्या यहां बहुत ही सीमित है।
कई भाषाओं का बोलने में इस्तेमाल करने वाले इस स्कूल में अंग्रेजी अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। अखबार कहता है कि जब कोई नया छात्र आता है तो उसके लिए एक अनुवादक का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वह अंग्रेजी के शब्दों को धीरे-धीरे सीखने लगे। जो बच्चा यहां पढ़ने आता है उसकी अपनी एक अलग मातृ भाषा भी होती है।
इस विद्यालय में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं में अरबी, ग्रीक, डच, जाएलिक, हिंदको, जमैकन, पातोइस, काछी, लिंगाला, मीरपुरी, नेपाली, पश्तो, पोलिश, पुर्तगाली, रोमानियन, सोमाली, स्पेनिश, शुडानी, स्विस, फ्रैंच और योरूबा हैं।
कैथोलिक स्कूल होने के बाद भी इस स्कूल में सबसे ज्यादा पाकिस्तानी मूल के छात्र हैं। इन बच्चों के घरों में प्राय: उर्दू और मीरपुरी बोली जाती है। स्कूल का पूरा शिक्षण स्टॉफ अंग्रेेजी भाषा में पढ़ाने में दक्ष है। पढ़ाने में कभी कभी अनुवादकों की मदद ली जाती है।