जयपुर/नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय [सुप्रीम कोर्ट] ने एक अभ्यर्थी की याचिका पर राजस्थान विधिक सेवा की मुख्य प्रतियोगिता परीक्षा पर रोक लगा दी है। यह परीक्षा 30 जून को होने वाली थी। याचिका में बताया गया है कि पिछले वर्ष हुई प्रारंभिक परीक्षा में कुछ त्रुटियां रह गई थीं।
राजस्थान लोक सेवा आयोग [आरपीएससी] द्वारा 21 दिसंबर 2011 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में हुई कथित त्रुटियों पर अदालत ने राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति एच.एल. गोखले एवं न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अवकाशकालीन खंडपीठ ने अभ्यर्थी कालू राम गुर्जर एवं अन्य की याचिका पर न्यायाधीशों [जूनियर डिवीजन] के चयन के लिए 30 जून को होने वाली मुख्य परीक्षा पर रोक लगा दी।
गुर्जर दिसंबर 2011 में हुई प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए थे। उनका कहना है कि प्रश्नपत्र में तथ्यात्मक गलतियां थीं।
याचिका में कहा गया है कि कुछ प्रश्न वैकल्पिक उत्तरों के साथ थे लेकिन उनमें से कुछ के वैकल्पिक उत्तर सही नहीं थे। इसलिए उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को दोषपूर्ण माना जाए।
याचिका के अनुसार, आपत्ति उठाए जाने पर आरपीएससी ने 14 प्रश्नों को स्वत: मिटा दिया था और 11 प्रश्नों के वैकल्पिक उत्तर बदल दिए थे।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सुशील कुमार जैन ने अदालत से कहा कि आरपीएससी ने इस परीक्षा को मजाक बना दिया है और इसे कतई वैध नहीं माना जा सकता।
याचिकाकर्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें आरपीएससी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया कि 30 जून को होने वाली मुख्य परीक्षा से पहले प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों में संशोधन कर लिया जाएगा।
आरपीएससी ने 28 मई को संशोधित परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि वे 297 अभ्यर्थी जिन्हें पहले मुख्य परीक्षा में शामिल होने के योग्य माना गया था लेकिन अब उन्हें इस परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के जिस आदेश के कारण 297 परीक्षार्थी अयोग्य घोषित कर दिए गए, उसे खारिज किया जाए।
राजस्थान लोक सेवा आयोग [आरपीएससी] द्वारा 21 दिसंबर 2011 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में हुई कथित त्रुटियों पर अदालत ने राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति एच.एल. गोखले एवं न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अवकाशकालीन खंडपीठ ने अभ्यर्थी कालू राम गुर्जर एवं अन्य की याचिका पर न्यायाधीशों [जूनियर डिवीजन] के चयन के लिए 30 जून को होने वाली मुख्य परीक्षा पर रोक लगा दी।
गुर्जर दिसंबर 2011 में हुई प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए थे। उनका कहना है कि प्रश्नपत्र में तथ्यात्मक गलतियां थीं।
याचिका में कहा गया है कि कुछ प्रश्न वैकल्पिक उत्तरों के साथ थे लेकिन उनमें से कुछ के वैकल्पिक उत्तर सही नहीं थे। इसलिए उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को दोषपूर्ण माना जाए।
याचिका के अनुसार, आपत्ति उठाए जाने पर आरपीएससी ने 14 प्रश्नों को स्वत: मिटा दिया था और 11 प्रश्नों के वैकल्पिक उत्तर बदल दिए थे।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सुशील कुमार जैन ने अदालत से कहा कि आरपीएससी ने इस परीक्षा को मजाक बना दिया है और इसे कतई वैध नहीं माना जा सकता।
याचिकाकर्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें आरपीएससी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया कि 30 जून को होने वाली मुख्य परीक्षा से पहले प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों में संशोधन कर लिया जाएगा।
आरपीएससी ने 28 मई को संशोधित परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि वे 297 अभ्यर्थी जिन्हें पहले मुख्य परीक्षा में शामिल होने के योग्य माना गया था लेकिन अब उन्हें इस परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के जिस आदेश के कारण 297 परीक्षार्थी अयोग्य घोषित कर दिए गए, उसे खारिज किया जाए।
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