इनकम टैक्स बचाने की प्लानिंग अगर आपने अभी तक नहीं की है तो अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। अब टैक्स प्लानिंग कर ही लें। इसके लिए कुछ निवेश करना होगा और अगर आप चाहें तो दान भी कर सकते हैं।
इनकम टैक्स कानून के मुताबकि टैक्स बचाने के लिए कुल निवेश एक लाख रुपए तक ही हो सकता है। यानी आप कितनी भी रकम कहीं भी लगाएं, टैक्स में छूट एक लाख रुपए तक के निवेश पर ही मिलेगी। याद रखिए भारत में हर इनकम के लिए टैक्स के स्लैब हैं और इनके अनुसार ही टैक्स लगता है लेकिन टैक्स में विभिन्न निवेशों के जरिये छूट की सीमा एक ही है। धारा 80 सी के तहत निवेशइनकम टैक्स कानून की धारा 80 सी के तहत छूट एक लाख रुपए तक के निवेश पर ही है।
टैक्स छूट के लिए निवेश का बेहतर तरीका हैपब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ। भारत सरकार के सभी निवेश विकल्पों में यह सबसे अच्छा माना जाता है और इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि आपको पैसे निकलते समय टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसमें ब्याज की दर बहुत बढ़िया है यानी 8.6 प्रतिशत और इसमें पूरे एक लाख रुपए तक निवेश किया जा सकता है। इसके अलावा जीवन बीमा यानी लाइफ इंश्योरेंस के लिए भी दिए गए पैसे भी एक लाख रुपए की सीमा तक टैक्स छूट के हकदार हैं। पेंशन प्लानों के लिए दी गई रकम भी छूट की हकदार है। कर्मचारियों के लिए बनाई गई राष्ट्रीय पेंशन योजना में भी निवेश करके आप छूट के हकदार हो सकते हैं। म्युचुअल फंडों के इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में निवेश भी टैक्स में छूट दिला सकते हैं। इसमें 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है और यह डायरेक्ट टैक्स कोड लागू होने के बाद खत्म हो जाएगा। राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र यानी नेशनल सेविंग्स स्कीम में भी निवेश करके आप टैक्स में छूट पा सकते हैं।
बैंकों मेंफिक्स्ड डिपॉजिटयानी एफडी के जरिये भी निवेश करके आप टैक्स में छूट पा सकते हैं। लेकिन याद रखिए यह एफडी कम से कम पांच साल की अवधि के लिए होनी चाहिए। हाउसिंग लोनको चुकाने में दिए गए मूल धन पर भी टैक्स में छूट मिलेगा। अगर आपने मकान की रजिस्ट्री कराई है तो उसमें भी टैक्स छूट है। बच्चों कीशिक्षा और ट्यूशन फी पर दी गई रकम भी आपको टैक्स से बचाती है। लेकिन यह सिर्फ दो बच्चों तक ही लागू होती है।
पोस्ट ऑफिस के जितने भी सेविंग्स स्कीमहैं उन सभी में पैसे लगाकर आप छूट के हकदार हो सकते हैं। धारा 80सीसीएफयह धारा कहती है कि अगर आपने मान्यता प्राप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश किया है तो आपको अधिकतम 30,000 रुपए तक इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। धारा 80 डी, के तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर खर्च की गई 35,000 रुपए तक की रकम टैक्स में छूट की पात्र होगी। लेकिन यहां एक पेंच है। अपने आप पर खर्च की गई रकम में सिर्फ 15,000 रुपए पर ही टैक्स में छूट मिलेगी जबकि सीनियर सिटिजन्स के मेडीक्लेम के लिए दिए गए प्रीमियम पर 20,000 रुपए तक की छूट है। यानी अगर आप अपने माता-पिता का मेडिकल इंश्योरेंस कराते हैं तो उस रकम पर भी छूट मिलेगी।
मकान बनाने वालों को टैक्स छूट हाउसिंग के लिए लोन पर दिए गए ब्याज पर भी टैक्स में छूट है और आप इस मद में डेढ़ लाख रुपए तक की छूट पा सकते हैं। यह सभी तरह की छूट के अतिरिक्त है।
अगर आप इससे भी ज्यादा छूट चाहते हैं तो वह भी संभव है। यह संभव होगा ट्रस्ट या इस तरह की संस्थाओं को दान देकर। यानी अगर आप किसी धार्मिक संस्थान मसलन इस्कॉन या चैरिटेबल संस्थान जैसे रामकृष्ण आश्रम को दान देते हैं तो इस पर भी आपको छूट मिलेगी। इसके अलावा गंभीर रोगों के इलाज में खर्च पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है। इसी तरह विकलांग व्यक्तियों को भी टैक्स में छूट मिलती है। इसके अलावा खिलाडियों, संगीतज्ञों, लेखकों वगैरह को भी इनकम टैक्स में छूट उपलब्ध है।
इनकम टैक्स कानून के मुताबकि टैक्स बचाने के लिए कुल निवेश एक लाख रुपए तक ही हो सकता है। यानी आप कितनी भी रकम कहीं भी लगाएं, टैक्स में छूट एक लाख रुपए तक के निवेश पर ही मिलेगी। याद रखिए भारत में हर इनकम के लिए टैक्स के स्लैब हैं और इनके अनुसार ही टैक्स लगता है लेकिन टैक्स में विभिन्न निवेशों के जरिये छूट की सीमा एक ही है। धारा 80 सी के तहत निवेशइनकम टैक्स कानून की धारा 80 सी के तहत छूट एक लाख रुपए तक के निवेश पर ही है।
टैक्स छूट के लिए निवेश का बेहतर तरीका हैपब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ। भारत सरकार के सभी निवेश विकल्पों में यह सबसे अच्छा माना जाता है और इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि आपको पैसे निकलते समय टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसमें ब्याज की दर बहुत बढ़िया है यानी 8.6 प्रतिशत और इसमें पूरे एक लाख रुपए तक निवेश किया जा सकता है। इसके अलावा जीवन बीमा यानी लाइफ इंश्योरेंस के लिए भी दिए गए पैसे भी एक लाख रुपए की सीमा तक टैक्स छूट के हकदार हैं। पेंशन प्लानों के लिए दी गई रकम भी छूट की हकदार है। कर्मचारियों के लिए बनाई गई राष्ट्रीय पेंशन योजना में भी निवेश करके आप छूट के हकदार हो सकते हैं। म्युचुअल फंडों के इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में निवेश भी टैक्स में छूट दिला सकते हैं। इसमें 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है और यह डायरेक्ट टैक्स कोड लागू होने के बाद खत्म हो जाएगा। राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र यानी नेशनल सेविंग्स स्कीम में भी निवेश करके आप टैक्स में छूट पा सकते हैं।
बैंकों मेंफिक्स्ड डिपॉजिटयानी एफडी के जरिये भी निवेश करके आप टैक्स में छूट पा सकते हैं। लेकिन याद रखिए यह एफडी कम से कम पांच साल की अवधि के लिए होनी चाहिए। हाउसिंग लोनको चुकाने में दिए गए मूल धन पर भी टैक्स में छूट मिलेगा। अगर आपने मकान की रजिस्ट्री कराई है तो उसमें भी टैक्स छूट है। बच्चों कीशिक्षा और ट्यूशन फी पर दी गई रकम भी आपको टैक्स से बचाती है। लेकिन यह सिर्फ दो बच्चों तक ही लागू होती है।
पोस्ट ऑफिस के जितने भी सेविंग्स स्कीमहैं उन सभी में पैसे लगाकर आप छूट के हकदार हो सकते हैं। धारा 80सीसीएफयह धारा कहती है कि अगर आपने मान्यता प्राप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश किया है तो आपको अधिकतम 30,000 रुपए तक इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। धारा 80 डी, के तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर खर्च की गई 35,000 रुपए तक की रकम टैक्स में छूट की पात्र होगी। लेकिन यहां एक पेंच है। अपने आप पर खर्च की गई रकम में सिर्फ 15,000 रुपए पर ही टैक्स में छूट मिलेगी जबकि सीनियर सिटिजन्स के मेडीक्लेम के लिए दिए गए प्रीमियम पर 20,000 रुपए तक की छूट है। यानी अगर आप अपने माता-पिता का मेडिकल इंश्योरेंस कराते हैं तो उस रकम पर भी छूट मिलेगी।
मकान बनाने वालों को टैक्स छूट हाउसिंग के लिए लोन पर दिए गए ब्याज पर भी टैक्स में छूट है और आप इस मद में डेढ़ लाख रुपए तक की छूट पा सकते हैं। यह सभी तरह की छूट के अतिरिक्त है।
अगर आप इससे भी ज्यादा छूट चाहते हैं तो वह भी संभव है। यह संभव होगा ट्रस्ट या इस तरह की संस्थाओं को दान देकर। यानी अगर आप किसी धार्मिक संस्थान मसलन इस्कॉन या चैरिटेबल संस्थान जैसे रामकृष्ण आश्रम को दान देते हैं तो इस पर भी आपको छूट मिलेगी। इसके अलावा गंभीर रोगों के इलाज में खर्च पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है। इसी तरह विकलांग व्यक्तियों को भी टैक्स में छूट मिलती है। इसके अलावा खिलाडियों, संगीतज्ञों, लेखकों वगैरह को भी इनकम टैक्स में छूट उपलब्ध है।