चंडीगढ़. बायो-फिजिक्स में एमएससी करने के बाद सेक्टर-20 निवासी शिफाली रिसर्च सेक्टर में जाना चाहती हैं। उनकी पहली प्राथमिकता इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल एंड रिसर्च (आईसीएमआर) से जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) की स्कॉलरशिप हासिल करना है। इसके लिए 250 सीटें हैं और करीब 12 हजार स्टूडेंट्स एग्जाम दे रहे हैं।
अगर जेआरएफ में नहीं हुआ तो वह पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) से पीएचडी करेंगी। लेकिन पीयू ने शिफाली का सपना तोड़ दिया। पीयू ने 22 जुलाई को जेआरएफ के टेस्ट वाले दिन ही पीएचडी का एंट्रेस एग्जाम तय किया है। अब शिफाली जेआरएफ एंट्रेंस देती हैं तो तो पीएचडी का मौका गंवा देंगी। पीएचडी को चुनती है तो जेआरएफ नहीं कर सकेगी। यह समस्या अकेले शिफाली की नहीं है बल्कि चंडीगढ़ और आसपास के सैकड़ों स्टूडेंट के दोनों पेपर एक ही दिन हैं।
पीयू के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब नेशनल लेवल के टेस्ट वाले दिन ही पीयू में पीएचडी एंट्रेस टेस्ट होगा। इससे पहले जब भी ऐसा हुआ है, पीयू ने स्टूडेंट हित को देखते हुए डेट बदल दी है। पीयू अधिकारी इस मामले में पिछले 10 दिन से चुप्पी साधे हैं।
जेआरएफ को मिलता है स्टाइफंड
आईसीएमआर के जेआरएफ के लिए 22 जुलाई को होने वाले एंट्रेस टेस्ट में शहर के दो सेंटरों पर 1601 स्टूडेंट भाग लेंगे। देशभर में कुल 11781 स्टूडेंट टेस्ट में शामिल होंगे।
जेआरएफ में सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट को आईसीएमआर प्रोजेक्ट के तहत 150 फेलोशिप के अलावा 100 कैंडिडेट्स आईसीएमआर की विभिन्न रिसर्च स्कीम के तहत जेआरएफ के रूप में सेलेक्ट होंगे। इन स्टूडेंट्स को आईसीएमआर प्रतिमाह 16 हजार रुपये स्टाइपंड और 20 हजार रुपये हर साल कंटिन्जेंसी ग्रांट देगी। ऐसे में रिसर्च के क्षेत्र में करियर बनाने वाले स्टूडेंट की प्राथमिकता जेआरएफ क्वालीफाई करना होता है। वहीं पीयू पीएचडी करने वाले किसी स्टूडेंट को स्टाइपंड नहीं देती है।
रजिस्ट्रार ने साधी चुप्पी
रजिस्ट्रार ऑफिस में सोमवार दोपहर 1 बजे संपर्क करने पर पता चला रजिस्ट्रार प्रो. एके भंडारी मीटिंग में व्यस्त हैं। शाम 4.10 बजे फिर संपर्क किया तो वे दफ्तर में नहीं थे। 5 बार कॉल की लेकिन फोन अटैंड नहीं किया। दो बार एसएमएस भेजा पर जबाव नहीं मिला। पीयू प्रवक्ता मोहनमीत खोसला से पूछा गया तो उनका भी जबाव था रजिस्ट्रार से संपर्क करो।
अगर जेआरएफ में नहीं हुआ तो वह पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) से पीएचडी करेंगी। लेकिन पीयू ने शिफाली का सपना तोड़ दिया। पीयू ने 22 जुलाई को जेआरएफ के टेस्ट वाले दिन ही पीएचडी का एंट्रेस एग्जाम तय किया है। अब शिफाली जेआरएफ एंट्रेंस देती हैं तो तो पीएचडी का मौका गंवा देंगी। पीएचडी को चुनती है तो जेआरएफ नहीं कर सकेगी। यह समस्या अकेले शिफाली की नहीं है बल्कि चंडीगढ़ और आसपास के सैकड़ों स्टूडेंट के दोनों पेपर एक ही दिन हैं।
पीयू के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब नेशनल लेवल के टेस्ट वाले दिन ही पीयू में पीएचडी एंट्रेस टेस्ट होगा। इससे पहले जब भी ऐसा हुआ है, पीयू ने स्टूडेंट हित को देखते हुए डेट बदल दी है। पीयू अधिकारी इस मामले में पिछले 10 दिन से चुप्पी साधे हैं।
जेआरएफ को मिलता है स्टाइफंड
आईसीएमआर के जेआरएफ के लिए 22 जुलाई को होने वाले एंट्रेस टेस्ट में शहर के दो सेंटरों पर 1601 स्टूडेंट भाग लेंगे। देशभर में कुल 11781 स्टूडेंट टेस्ट में शामिल होंगे।
जेआरएफ में सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट को आईसीएमआर प्रोजेक्ट के तहत 150 फेलोशिप के अलावा 100 कैंडिडेट्स आईसीएमआर की विभिन्न रिसर्च स्कीम के तहत जेआरएफ के रूप में सेलेक्ट होंगे। इन स्टूडेंट्स को आईसीएमआर प्रतिमाह 16 हजार रुपये स्टाइपंड और 20 हजार रुपये हर साल कंटिन्जेंसी ग्रांट देगी। ऐसे में रिसर्च के क्षेत्र में करियर बनाने वाले स्टूडेंट की प्राथमिकता जेआरएफ क्वालीफाई करना होता है। वहीं पीयू पीएचडी करने वाले किसी स्टूडेंट को स्टाइपंड नहीं देती है।
रजिस्ट्रार ने साधी चुप्पी
रजिस्ट्रार ऑफिस में सोमवार दोपहर 1 बजे संपर्क करने पर पता चला रजिस्ट्रार प्रो. एके भंडारी मीटिंग में व्यस्त हैं। शाम 4.10 बजे फिर संपर्क किया तो वे दफ्तर में नहीं थे। 5 बार कॉल की लेकिन फोन अटैंड नहीं किया। दो बार एसएमएस भेजा पर जबाव नहीं मिला। पीयू प्रवक्ता मोहनमीत खोसला से पूछा गया तो उनका भी जबाव था रजिस्ट्रार से संपर्क करो।
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