जब बच्चे जब किसी हिंसक घटना या अपराध में शामिल पाए जाते हैं तो हम विचलित हो उठते हैं। कई बार बच्चों में बढ़ती जिद और गुस्से को देखकर आपको भी भविष्य की चिंता सताती होगी। ऐसे में यह समझना बहुत जरूरी है कि बच्चे के साथ ऐसी कौन सी परिस्थितियां होती हैं जिससे वह गुस्सैल और आक्रामक हो जाता है।
इस बारे में 'मैक्स हेल्थकेयर' के मुख्य मनोचिकित्सक डॉ.समीर पारिख बताते हैं, 'बच्चों में आक्रामकता बढ़ना कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह उनके व्यवहार में आए बदलाव का एक रूप है जो हमारी अनदेखी की वजह से परेशानी का सबब बन जाता है। बच्चों में इस तरह के व्यवहार के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें अभिभावकों के व्यवहार के अलावा स्कूल, मीडिया, कंप्यूटर आदि का असर भी शामिल है।
ये हो सकते हैं कारण
- अगर आपके बच्चा जरूरत से ज्यादा जिद करता है या कुछ ऐसी हरकतें करता है जो आपको सामान्य नहीं लगतीं तो उसे उसकी नासमझी समझ कर अनदेखा करने के बजाय संबंधित वजहों पर गौर करे।
- घर का माहौल कैसा है, इसका असर सबसे ज्यादा बच्चे के व्यवहार पर पड़ता है। आप घर में किस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, अपने बच्चे को लिए कैसे उदाहरण पेश करते हैं, ये सब आपके लिए भले ही अधिक मायने न रखे पर आपके बच्चे के लिए उसे अभिभावकों की छोटी सो छोटी बात महत्वपूर्ण होती है।
- बच्चे में किसी बात को लेकर असुरक्षा की भावना हो तो उसका असर भी उसके व्यवहार पर पड़ता है। अगर वह बहुत अधिक तनाव में है या कुछ ऐसी दिक्कत है जिसे वह खुलकर आपसे बांट नहीं पा रहा, तब भी उसका व्यवहार आक्रामक हो जाता है और वह छोटी-छोटी बातों पर आक्रामक प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता है।
- बात-बात पर बच्चे को डांटना, दूसरों से उसकी तुलना करना, उसकी हर गतिविधि पर टोकना जैसे कई कारण हैं जिनसे उसका रवैया आक्रामक हो सकता है। स्कूल में टीचर या दूसरे बच्चों के उसके साथ व्यवहार का भी उसके बर्ताव पर प्रभाव पड़ता है।
क्या है समाधान
डॉ. पारिख का कहना है कि बच्चे को किसी प्रकार का शारीरिक दंड देने या उसके प्रति गलत भाषा के प्रयोग से बचें। याद रखें कि आप अपने बच्चे के आदर्श होते हैं और आपका व्यवहार उसे बहुत अधिक प्रभावित करता है। उसके लिए अच्छे आदर्श रखें और कोशिश करें कि अच्छी और रचनात्मक गतिविधियों में उसकी रुचि बढ़े।
बच्चे की छोटी-छोटी उपलब्धियों में उसका हौसला बढ़ाएं। अभिभावक और शिक्षक बच्चे के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर ध्यान दें जिससे बच्चों को अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए आक्रामक हरकते न करनी पड़ें। बच्चे कंप्यूटर पर क्या करते हैं और किस तरह के गेम्स खेलते हैं, इन सब बातों की जानकारी भी बहुत जरूरी है। किसी गलत गतिविधि की जानकारी होने पर उन्हें टोकने के बजाय धीरज से काम लेना बेहतर है।
डॉ. पारिख के मुताबिक सबसे अच्छा होगा कि बच्चों से हमेशा संवाद बनाए रखा जाएगा। इसके लिए जरूरी है कि आप समय-समय पर बच्चों से उनके रुझान और समस्याओं पर खुलकर चर्चा करें।
इस बारे में 'मैक्स हेल्थकेयर' के मुख्य मनोचिकित्सक डॉ.समीर पारिख बताते हैं, 'बच्चों में आक्रामकता बढ़ना कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह उनके व्यवहार में आए बदलाव का एक रूप है जो हमारी अनदेखी की वजह से परेशानी का सबब बन जाता है। बच्चों में इस तरह के व्यवहार के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें अभिभावकों के व्यवहार के अलावा स्कूल, मीडिया, कंप्यूटर आदि का असर भी शामिल है।
ये हो सकते हैं कारण
- अगर आपके बच्चा जरूरत से ज्यादा जिद करता है या कुछ ऐसी हरकतें करता है जो आपको सामान्य नहीं लगतीं तो उसे उसकी नासमझी समझ कर अनदेखा करने के बजाय संबंधित वजहों पर गौर करे।
- घर का माहौल कैसा है, इसका असर सबसे ज्यादा बच्चे के व्यवहार पर पड़ता है। आप घर में किस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, अपने बच्चे को लिए कैसे उदाहरण पेश करते हैं, ये सब आपके लिए भले ही अधिक मायने न रखे पर आपके बच्चे के लिए उसे अभिभावकों की छोटी सो छोटी बात महत्वपूर्ण होती है।
- बच्चे में किसी बात को लेकर असुरक्षा की भावना हो तो उसका असर भी उसके व्यवहार पर पड़ता है। अगर वह बहुत अधिक तनाव में है या कुछ ऐसी दिक्कत है जिसे वह खुलकर आपसे बांट नहीं पा रहा, तब भी उसका व्यवहार आक्रामक हो जाता है और वह छोटी-छोटी बातों पर आक्रामक प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता है।
- बात-बात पर बच्चे को डांटना, दूसरों से उसकी तुलना करना, उसकी हर गतिविधि पर टोकना जैसे कई कारण हैं जिनसे उसका रवैया आक्रामक हो सकता है। स्कूल में टीचर या दूसरे बच्चों के उसके साथ व्यवहार का भी उसके बर्ताव पर प्रभाव पड़ता है।
क्या है समाधान
डॉ. पारिख का कहना है कि बच्चे को किसी प्रकार का शारीरिक दंड देने या उसके प्रति गलत भाषा के प्रयोग से बचें। याद रखें कि आप अपने बच्चे के आदर्श होते हैं और आपका व्यवहार उसे बहुत अधिक प्रभावित करता है। उसके लिए अच्छे आदर्श रखें और कोशिश करें कि अच्छी और रचनात्मक गतिविधियों में उसकी रुचि बढ़े।
बच्चे की छोटी-छोटी उपलब्धियों में उसका हौसला बढ़ाएं। अभिभावक और शिक्षक बच्चे के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर ध्यान दें जिससे बच्चों को अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए आक्रामक हरकते न करनी पड़ें। बच्चे कंप्यूटर पर क्या करते हैं और किस तरह के गेम्स खेलते हैं, इन सब बातों की जानकारी भी बहुत जरूरी है। किसी गलत गतिविधि की जानकारी होने पर उन्हें टोकने के बजाय धीरज से काम लेना बेहतर है।
डॉ. पारिख के मुताबिक सबसे अच्छा होगा कि बच्चों से हमेशा संवाद बनाए रखा जाएगा। इसके लिए जरूरी है कि आप समय-समय पर बच्चों से उनके रुझान और समस्याओं पर खुलकर चर्चा करें।
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