रत्न सिर्फ आपके आभूषणों में ही चार चांद नहीं लगाते, इनके जरिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का भी निदान किया जाता है। उपचार में इनके प्रभावी गुणों को अब वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार कर लिया है।
हम किसी भी कीमती रत्न को क्लेरिटी, कलर और कैरेट की नजर से देखते हैं। अब इसमें एक ‘सी’ यानी क्योर (उपचार) को भी जोड़ लीजिए। अब तो वैज्ञानिक भी इन कीमती नगीनों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को स्वीकार कर चुके हैं। आइए हम भी जानते हैं कि कौन सा रत्न स्वास्थ्य पर किस तरह प्रभाव छोड़ता है।
रूबी (माणिक)
बर्मा के लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं। वे इसकी तुलना इंसान की आत्मा से करते हैं, जो शुद्ध और पवित्र मानी जाती है। उनका विश्वास है कि पहनने वाले के स्वास्थ्य के लिहाज से माणिक अपना रंग बदलता है। इस पत्थर को रात या गर्मी में नहीं पहनना चाहिए। इससे आंखों की समस्या, मेनिंजाइटिस, एनीमिया, बुखार, पाचन प्रणाली से जुड़ी समस्याएं, निम्न रक्त चाप और दिल से जुड़ी बीमारियों में फायदा पहुंचता है। अत्यधिक रक्त स्राव और जहर की स्थिति में इसे पीस कर लगाने से भी फायदा पहुंचता है।
विकल्प: गार्नेट, सनस्टोन, स्पाइनल और अगाते।
ब्लू सैफायर (नीलम)
यह पत्थर डिप्रेशन से उबारने में मददगार है। इसकी तासीर ठंडी मानी जाती है। इसीलिए विशेषज्ञ इसे अकेले पहनने से मना करते हैं। इसको लेकर एक और सावधानी बरतने को कहा जाता है। वह यह कि अगर नीलम 24 घंटे में सूट न करे, तो इसे उतार देना चाहिए। इसे एलर्जी, कैंसर, पीलिया, बाल गिरने, मितली, पोलियो, एनीमिया, आर्थराइटिस, वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं, अल्सर, लगातार बुखार, मिरगी में लाभदायी माना गया है। शरीर से अत्यधिक पसीना निकलने में कमी लाने में भी इसे प्रभावी माना गया। आंख से जुड़ी समस्या में ठंडे पानी में कुछ देर तक डुबोकर रखने के बाद पानी पीने से फायदा पहुंचता है।
विकल्प: ब्लू जिरकन, एमेथिस्ट, लेपिस लजुली, गार्नेट और ब्लू स्पाइनल ।
पर्ल (मोती)
इस खूबसूरत पत्थर की खूबसूरती पहनने वाले के स्वास्थ्य पर टिकी होती है। निकट दृष्टिदोष, सांस लेने में तकलीफ, टीबी, सेरेब्रल थ्रोंबोसिस, अपच, दिल संबंधी बीमारियों और ब्लड प्रेशर की समस्याओं में इसे कारगर पाया गया है।
विकल्प: मून स्टोन और सफेद सैफायर।
कैट्स आई (लहसुनिया)
इसे पहनने वाले का स्वास्थ्य इसके रंग से जाना जा सकता है। अगर पत्थर में काला धब्बा या रंग दिखे, तो स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने की आशंका रहती है। इसके जरिए कफ, पाइल्स, अपच, आंखों की बीमारियां और सिरदर्द को दूर किया जाता है।
विकल्प: टाइगर आई।
डायमंड (हीरा)
अगर पहनने वाले का स्वास्थ्य गिर रहा है, तो इसकी चमक फीकी पड़ने लगती है। इससे ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलती है। नींद में चलने वालों के लिए यह रामबाण है। इसके अलावा ब्लैडर, दिल संबंधी बीमारियों में इसे कारगर माना गया है। टीबी, डायबिटीज, एनीमिया और सूजन को दूर करने में भी इसकी राख अच्छा प्रभाव छोड़ती है।
विकल्प: सफेद टोपाज, टर्मलीन और क्वाट्र्ज।
नोट: किसी रत्न को पहनने से पहले विशेषज्ञों से सलाह कर लेनी चाहिए। गलत रत्न के नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।
येलो सैफायर (पुखराज)
इस कीमती नगीने को मानसिक शांति से जोड़ कर देखा जाता है। इससे एलर्जी, एनीमिया, एपेंडिक्स, आर्थराइटिस, पीठ का दर्द, ब्लैडर संबंधी समस्याओं, कॉलरा, लिवर सिरोसिस, डायबिटीज, एक्जिमा, गालस्टोन, अल्सर, हार्निया, संक्रमण, टीबी और टायफाइड में राहत मिलती है।
विकल्प: येलो क्वाट्र्ज और स्रिटाइन।
एमरल्ड (पन्ना)
गहरे हरे रंग का यह पत्थर कई प्रकार में उपलब्ध है। गर्भवती महिलाओं को इसे पहनने की खास सलाह दी जाती है। इसे पहनने से आंख और कान के रोग समेत अस्थमा, बाल गिरना, पाचन संबंधी समस्याओं, दिल संबंधी बीमारियों, इंसोमेनिया, हार्निया, ल्यूकोडर्मा, नसों में दर्द, टायफाइड में राहत मिलती है।
विकल्प: एक्वामैरीन, टरक्वाइज, पेरिडॉट, हरा अगाते और जेड।
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