नमस्कार, ये ऑल इंडिया रेडियो है और आप सुन रहे हैं हवा महल....हम सुना रहे हैं फिल्म पुकार का एक गाना। इस गाने की फरमाइश भेजी है झुमरी तलैया से राजेश, मन्नू, किशोर और टिंकु, मुरादाबाद से नसीमुद्दीन, आयशा, रजिया और कालेघाट से ओमप्रकाश व परिवार ने।
कुछ याद आया? बचपन में आपने भी ऑल इंडिया रेडियो के जरिए विविध भारती पर मनपसंद गाने सुने होंगे। बीबीसी रेडियो पर दुनिया जहान की खबरें जानने के लिए आज भी गांव के किसान रेडियो कान से लगाए घूमते हैं। 1920 में अस्तित्व में आया ऑल इंडिया रेडियो आज भी देश में मनोरंजन और खबरों का एक अहम साधन है। तब से अब तक शिक्षा और मनोरंजन के अनगिनत कार्यक्रमों के जरिए रेडियो भारत की उस जनता का मन बहला रहा है जिस तक टीवी की पहुंच नहीं है।
भले ही बड़े मेट्रो शहरों में एफएम क्रांति ने रेडियो के पैर उखाड़ दिए हैं लेकिन ग्रामीण और दूर दराज के गांव कस्बों में ऑल इंडिया रेडियो का क्रेज बरकरार है। अभी तक लोग रेडियो पर सामान्य समाचार, कृषि समाचार, दुनिया भर की खबरें, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम और फौजी भाइयों की पसंद जैसे संगीत कार्यक्रम सुनते हैं।
आज भी रेडियो भारत के दूर दराज के गांवों खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के श्रोताओं का मनोरंजन का महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है। ऑल इंडिया रेडियो का जन्म 1920 में मुंबई में हुआ तब इसका नाम इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन था। 1921 में महाराष्ट्र के अंग्रेज गर्वनर के अनुरोध पर टाइम्स ऑफ इण्डिया और डाकतार विभाग के सौजन्य से अगस्त 1921 में संगीत का प्रोग्राम बम्बई से प्रसारित किया गया था जो कि तकरीबन 175 किलोमीटर दूर पुणे में सुना गया था।
विविध भारती के 55 साल
एक ऐसा चैनल जिसे रेडियो प्रेमी दिलों की सुरीली धड़कन कहकर पुकारते थे। संगीत प्रेमियों के लिए 24 घंटे गाने बजाने वाला चैनल विविध भारती। बाद के बरसों में विविध भारती आकाशवाणी की मुख्य स्तंभ बन गया। समाचार संध्या के बाद कहकशा, गुलदस्ता छायागीत सुने जाते। सुबह त्रिवेणी , चित्रलोक और आज के फनकार के दीवानों का समय होता।
इन सब कार्यक्रमों के बीच युनुस खान के साथ मंथन, जिज्ञासा और यूथ एक्सप्रेस जैसे ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों ने भी विविध भारती को जनता के बीच अलग और अहम पहचान दिलाई। ये कार्यक्रम मनोरंजन के साथ साथ ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद थे और इस लिहाज से घर के बड़े लोग बच्चों को इसे सुनने के लिए प्रेरित करते थे। पिटारा के फेमस कार्यक्रम " बाईस्कोप की बातें " सुनने के लिए उस समय घर के सदस्यों के बीच लड़ाई तक हो जाया करती थी।
हवा महल और बीबीसी क्या देखें और क्या छोड़ें
खास बात ये रही कि जिस समय हवा महल पर गाने बजा करते थे उसी समय बीबीसी रेडियो पर दुनिया भर के समाचार सुनने को मिलते थे। लेकिन जीत बुजुर्गो की होती थी और बच्चे परीक्षा में अव्वल आने पर खुद के लिए रेडियो मांग लिया करते थे ताकि हवा महल पर गाने सुनने से कोई रोक न सके।
रेडियो सिलोन और पाकिस्तान रेडियो
60 के दशक में दोपहर का वक्त पाकिस्तान रेडियो का होता था। जबकि वीकएंड रेडियो सिलोन (रेडियो श्रीलंका) के नाम रहता था। सप्ताह के आखिरी दिन में रेडियो सिलोन के जरिए ही श्रोता बिनाका संगीतमाला में अमीन सयानी की मधुर आवाज का रस ले पाते थे। इस संगीतमाला के अलावा सयानी अन्य किसी कार्यक्रम में अपना नाम नहीं घोषित करते थे।
इसके अलावा कैडबरीज की फुलवारी भी श्रोताओं के मन में संगीत की मिठास घोलने के लिए मशहूर थी। इसके अलावा लेसलीन संगीत बहार, बाल सखा, पैरागॉन संगीत खजाना, एस कुमार का फिल्मी मुकदमा और आप ही के गीत नामक कार्यक्रम से श्रोता हफ्ते भर की थकान भूल जाते थे।
फोन पर सुन लीजिए हर तरह के समाचार
आप कहीं भी हो, फोन पर एक नंबर डायल करके आकाशवाणी के जरिए हर तरह के समाचारों की सुर्खियां सुन सकते हैं। आकाशवाणी ने राष्ट्रीय समाचारों के लिए यह सुविधा दी है। बस नंबर डायल कीजिए और हिन्दी या अंग्रेज़ी में इस समय के मुख्य समाचारों की सुर्खियां सुन सकते हैं। आप क्षेत्रीय समाचार भी इसी तरीके से फोन पर सुन सकते हैं।
रेडियो के हर बड़े बुलेटिन में फोन नंबर बताया जाता है। तो बस देर किस बात कि आप जहाँ कहीं भी हो हिन्दी या अंग्रेज़ी में राष्ट्रीय समाचार या क्षेत्रीय समाचारों की सुर्ख़ियां क्षेत्रीय भाषा में सुनना चाहते हो नंबर डायल करें और सुन लें। Complete Guide