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फिर बदला जाएगा लखनऊ मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम


लखनऊ उत्तर प्रदेश में एक बार फिर लखनऊ मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम बदलने की तैयारी है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने छत्रपति शाहू जी महाराज मेडिकल यूनिवर्सिटी का पुराना नाम किंग जार्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी बहाल करने के प्रस्ताव को हरी झंडी प्रदान कर दी है। यह जानकारी शनिवार को कुलपित प्रो. डीके गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय नाम से अलग यूनीवर्सिटी बनाई जाएगी जिससे प्रदेश के मेडिकल कॉलेज संबद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश है कि चिकित्सा विश्वविद्यालय को स्वायत्तशासी दर्जा दिया जाए। इससे चिविवि के स्तर को उठाने में मदद मिलेगी। नियुक्तियां मेरिट के आधार पर की जा सकेंगी और एम्स की तर्ज पर मरीजों के हित में फैसले लिए जा सकेंगे। कुलपति ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर के विस्तार के लिए नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत 22 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिल पाई। ट्रॉमा सेंटर मरीजों के दबाव को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि शताब्दी अस्पताल में तैयार 50 बेड के आइसीयू में करीब 30 बेड को ट्रॉमा के लिए इस्तेमाल किया जाए। मेडिसिन विभाग के डॉ. अविनाश अग्रवाल को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह यह बताएं कि इसकी शुरुआत लिए कौन-कौन से उपकरणों की जरूरत होगी। प्रो. गुप्ता ने बताया कि शताब्दी में चार विभागों को शिफ्ट करने की योजना है। उन्होंने बताया कि चिकित्सा विश्र्वविद्यालय की जरूरतों को देखते हुए सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉ. संजीव मिश्रा का अवकाश रद कर दिया गया है। उन्हें जोधपुर एम्स का निदेशक बनाया गया है। हमारे पास विभाग में सिर्फ दो चिकित्सक हैं ऐसे में यदि डॉ. संजीव को अवकाश दिया जाता है तो मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। नियमानुसार उन्हें इस्तीफा देना होगा जिससे उनके स्थान पर नियुक्ति की जा सकेगी। सरकार बिजली संकट खत्म करने को प्रतिबद्ध : लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव कुछ खास जिलों को ज्यादा बिजली देने को गलत नहीं मानते। शनिवार को लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बिजली संकट को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों को अपेक्षाकृत ज्यादा बिजली मिलती ही रही है। शिवपाल यादव ने जेल में बंद आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ल से मुलाकात पर भी अपनी सफाई दी। कहा, वह मंत्री हैं, किसी भी जेल का निरीक्षण कर सकते हैं। डासना जेल का भी उन्होंने निरीक्षण किया। जेल में बंद तमाम बंदियों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को जाना, उन्हीं में एक प्रदीप शुक्ला भी थे।

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