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महज 11 साल की उम्र में किया कमाल, इनके सामने चकरा जाता है कंप्यूटर

महज 11 साल की उम्र में किया कमाल, इनके सामने चकरा जाता है कंप्यूटर
वैशालिनी महज 11 साल की उम्र में अपने बराबर के बच्चों से कुछ अलग है। जिस उम्र में बच्चे कार्टून देखना, साइकिल चलाना और वी़डियो गेम खेलन पसंद करते हैं, उस उम्र में उस पर पूरी दुनिया नाज करती है। उसके दिमाग की दाद देती है। उसका दिमाग इतना तेज चलता है कि कंप्यूटर भी शरमा जाए। उसकी एनालिटिकल स्किल के आगे दुनिया के बड़े-बड़े शूरमा पानी भरते हैं। छोटी उम्र में बड़ा कारनामा वैशालिनी का आईक्यू लेवल 225 है, जो कि गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड धारी युंग-योंग के आईक्यू से ज्यादा है। युंग-योंग का आईक्यू लेवल 210 है।

तमिलनाडू के तिरुनवेलि जैसे छोटे शहर में रहने वाली वैशालिनी के पिता एक इलेक्ट्रिशियन हैं। गरीबी में रहकर मिसाल कायम करने वाली इस लड़की का दिमाग गॉड गिफ्टेड माना जाता है। उसकी अद्भुत उपलब्धियों के कारण इसके नाम कई रिकार्ड हैं। यह माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफिकेट प्रोफेशनल और सिस्को सर्टिफिकेट नेटवर्क एसोसिएशन क्लब में शामिल है। सीसीएनए में 90 फीसदी स्कोर करने के बाद इसने पाकिस्तानी लड़की अरफा करीम रंधावा का रिकॉर्ड तोड़ दिया। दुर्भाग्यवश, 14 जनवरी को दिल की बिमारी के चलते अरफा की मृत्यु हो गयी। तब वह सिर्फ 16 साल की थी। हाल ही में वैशालिनी ने एक इंटरनेशनल सेमिनार में भाग लिया है। कर्नाटक इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित इस सेमिनार में उसे बतौर गेस्ट स्पीकर बुलाया गया था। किसी बड़े सेमिनार में उसे सम्मानित करने का यह कोई पहला मौका नहीं था, इससे पहले भी उसे कई बार बुलाया जा चुका है।

उसकी मम्मी के मुताबिक, वह बचपन में बोल नहीं पाती थी। पर उसका दिमाग तेज था। सालों तक डॉक्टरों की देख रेख में उसका इलाज चला फिर वह बोलने के काबिल हुई। आज वही वैशाली पूरी दुनिया को संबोधित कर रही है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। अब भी है उपेक्षा की शिकार वैशालिनी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। उसके टैलेंट को जितना एक्सपोजर मिलना चाहिए उतना नहीं मिला है। उसकी सहायता के लिए तमिलनाडु सरकार के अलावा दो इंजीनियरिंग कॉलेजों ने हाथ बढ़या है। उसे केंद्र सरकार से मदद की दरकार है। उस पर केवल परिवार को ही गर्व नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया उस पर नाज कर सकती है।
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