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सेना अपने स्कूलों में आरक्षण के खिलाफ





reservation in army schools opposed
सेना ने शिक्षा का अधिकार (आरटीआई) एक्ट के तहत अपने करीब 150 स्कूलों में कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए 25 फीसदी आरक्षण को लागू करने का विरोध किया है। सेना का कहना है कि इससे उसके कर्मियों के बच्चों की शैक्षिक संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा। इस संदर्भ में सैन्य मुख्यालय ने एक पत्र रक्षा मंत्रालय को भेजा है। 13 लाख सैन्य कर्मियों की क्षमता वाली सेना देश भर में छावनियों में करीब 150 स्कूलों का संचालन करती है।

सूत्रों ने कहा कि इस बारे में सेना ने अपना रुख कुछ समय पहले ही तय किया था और इसके पीछे के कारणों से सरकार को अवगत करा दिया था। यह रुख बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के मद्देनजर तय किया गया है, जिसमें प्रत्येक गैर सहायता प्राप्त निजी विद्यालय के लिए शुरुआती स्तर पर कमजोर एवं वंचित वर्ग के 25 फीसदी बच्चों को दाखिला देना अनिवार्य बनाया गया है।

आरक्षण के इस प्रावधान के विरोध का कारण स्पष्ट करते हुए सेना के सूत्रों ने कहा कि इससे हमारे अपने बच्चे इन स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले से ही हमारे स्कूलों पर बहुत दबाव है और 25 फीसदी सीटें गैर सैन्य कर्मियों के बच्चों को देने से सैन्य कर्मियों के उतने ही बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सैन्य कर्मी अपने बच्चों की शिक्षा के संदर्भ में वंचित समूह के रूप में माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों के लिए पर्याप्त शैक्षिक सुविधाओं की कमी को सैन्य कर्मियों में तनाव के बढ़ने को एक अहम कारण माना गया है।
 

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