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सीडीएलयू में जल्द स्थापित होंगे हिंदी पंजाबी और संस्कृत भाषा विभाग

  सीडीएलयू में जल्द स्थापित होंगे हिंदी पंजाबी और संस्कृत भाषा विभाग
 
सिरसा. चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में हिंदी, पंजाबी व संस्कृत विभाग स्थापना के लिए कार्यकारी परिषद से हरी झंडी मिल गई है। विश्वविद्यालय ने यूजीसी से भाषा विभाग स्थापित करने के लिए 6.06 करोड़ रुपये मांगे हैं। विश्वविद्यालय के स्थापनाकाल से राष्ट्रभाषा व प्रदेश की दूरी भाषा के अलावा संस्कृत विभाग के लिए बाट जोह रहे विद्यार्थियों को भाषा विभाग स्थापना के लिए ईसी की मंजूरी से उम्मीद बंधी है।

अगर यूजीसी से ग्रांट मिली तो भाषा विभाग स्थापना का रास्ता साफ हो जाएगा, क्योंकि ग्रांट मिलने पर सरकार से एनओसी मिलनी आसान हो जाएगी। साथ ही ग्रांट मिलने की स्थिति में विवि विभाग स्थापना का केस सरकार के समक्ष मजबूती से रख पाएगा।


लंबे समय से चली आ रही है मांग

विश्वविद्यालय में भाषा के लिहाज से केवल अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। अन्य भाषाओं के विभागों के लिए लंबे समय से मांग चली आ रही है। विश्वविद्यालय ने अन्य विकास कार्यो में मुख्य लाइब्रेरी के लिए भी यूजीसी से 7.15 करोड़ रुपये व विभागीय लाइब्रेरी के लिए 2.28 करोड़ रुपये की डिमांड की है। वहीं विकास के पथ पर अग्रसर सीडीएलयू ने बिल्डिंग के लिए सवा 20 करोड़ रुपये के लिए यूजीसी से गुजारिश की है।



चिल्ड्रन पार्क व वाटर रि-साइकलिंग की तैयारी

विश्वविद्यालय प्रशासन की मंशा विवि में चिल्ड्रन पार्क व वाटर री-साइकलिंग का प्रबंध करने की भी है। विवि की कार्यकारी परिषद ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए विमर्श के उपरांत यूजीसी से चिल्ड्रन पार्क के लिए 23 लाख रुपये के अलावा वाटर री-साइकलिंग व्यवस्था व भूमि समतल करने के लिए पौने 9 करोड़ रुपये मांगे हैं।



ईसी ने टीचर संसाधनों के लिए 2 करोड़, हेल्थ सर्विस के लिए सवा करोड़, स्टूडेंटों की सुविधा के लिए 26.92 लाख रुपये के साथ ही चारदीवारी, इंडोर सब स्टेडियम, सड़कें वगैरह के लिए भी करोड़ों रुपये की स्वीकृति के बाद मंजूरी के लिए यूजीसी को लिखा है। विश्वविद्यालय में रिसर्च कार्य बढ़ाने पर भी जोर देना का निर्णय लेते हुए ईसी ने यूजीसी से 2 करोड़ रुपये देने की डिमांड की है।




यूजीसी के नए सिस्टम का मिलेगा फायदा

यूजीसी ने ताजा वित्त वर्ष में ग्रांट देने के सिस्टम में फेरबदल किया है जिससे जल्द ग्रांट मिलने की उम्मीद बंधी है। पूर्व में यूजीसी की टीम विश्वविद्यालयों का दौरा करके ग्रांट की स्वीकृति की अंतिम मुहर लगाती थी, जिससे ग्रांट जारी होने में दो से तीन वर्ष तक लग जाते थे मगर अब विवि की ईसी से अगर मंजूरी मिली हो तो यूजीसी अपनी उपलब्धता के आधार पर सीधा ही बजट स्वीकृत कर देती है। ऐसे में अब देविवि की ईसी से उक्त निर्णयों को हरी झंडी मिलने के बाद तमाम निर्णयों के लागू होने का दारोमदार यूजीसी पर है।



दो माह के भीतर ग्रांट की उम्मीद

विश्वविद्यालय प्रशासन यहां नई सुविधाएं देने के लिए गंभीर है। भाषा विभाग स्थापना भी इनमें एक है। इसी के चलते विवि ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना में नए विभाग स्थापना सहित कुछ अन्य विकास कार्यो के लिए बजट की डिमांड की है। उम्मीद है कि यूजीसी आगामी दो माह में ही सकारात्मक रुख अपनाते हुए ग्रांट जारी कर देगी। बाकी राज्य सरकार को भी विभाग स्थापना के संदर्भ में डिमांड लिखी गई है, क्योंकि पद स्वीकृति सरकार से ही मिलनी है। यूजीसी से ग्रांट मिली तो सरकार से भी विभाग स्थापना के बारे में सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद बंध जाएगी।" -डॉ. मनोज सिवाच, रजिस्ट्रार, सीडीएलयू, सिरसा।
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