लंदन: वैज्ञानिकों ने कांस्य युगीन सभ्यता के लोगों द्वारा आपस में बातचीत करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ‘फेसबुक के प्राग् ऐतिहासिक संस्करण’ खोजने का दावा किया है। रूस और स्वीडन में दो ग्रेनाइट चट्टानी स्थलों पर बनी तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की टीम ने दावा किया है कि यह स्थल सोशल नेटवर्किंग साइट का ‘प्राचीन संस्करण’ है जहां उपयोगकर्ता अपने विचारों और भावनाओं को सांझा करते थे और एक दूसरे के सहयोग पर स्वीकृति की मुहर लगाते थे बिल्कुल वैसे ही जैसे आजकल फेसबुक पर ‘लाइक’ किया जाता है।

शोधकर्ता मार्क सापवेल ने एक बयान में कहा, ‘इन जगहों के बारे में कुछ वाकई बहुत विशेष है। मुझे लगता है कि लोग वहां इसलिए गए क्योंकि उन्हें मालूम था कि उनसे पहले भी वहां कुछ लोग गए थे।’ उन्होंने कहा, ‘आज की तरह ही लोग हमेशा एक दूसरे से जुड़े राहना चाहते थे बहुत प्रारंभिक समाज में लिखित भाषा के आने से पहले यह पहचान का तरीका था।’ वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐतिहासिक काल के लोग हजारों वर्षों तक उसी स्थान पर लगातार जाते रहे क्योंकि वह उन्हें ‘आराम’ और ‘मानव संबंधों’ का एहसास कराता था। सापवेल के अनुसार रूस के जालावरूगा और उत्तरी स्वीडन के नामफोरसेन में वह जिन स्थलों का अध्ययन कर रहे हैं वहां करीब 2,500 तस्वीरें हैं। उनमें जानवरों, मनुष्यों, नौकाओं और शिकारी दलों की तस्वीरें शामिल हैं।